RSS क्या है? सम्पूर्ण जानकारी

आरएसएस (RSS) यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है जिसके सिद्धांत हिंदुत्व में निहित है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य भारत की संस्कृति, धरोहरों तथा विचारों के मूल्यों को बनाये रखना तथा हिन्दू समुदाय को मजबूत करने के लिए लोगों में हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार करना है। इसके साथ ही यह संगठन लोगों को भारत की महानता और विरासत के बारे में जागरूक होना सिखाता है और न केवल आपदाओं के दौरान, बल्कि सामान्य स्थिति के दौरान भी चुपचाप सामाजिक सेवाओं में लगा रहता है। यह लोगों में आरएसएस के नाम से बहुत ही लोकप्रिय है। इस लेख में आपको RSS Kya Hai और आरएसएस फुल फॉर्म इन हिंदी की विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है।



RSS क्या है?

राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ (RSS) भारत का दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्द्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन है जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढी ( जिसे सत्ता प्राप्त हो) दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता है। RSS विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है इसका मुख्य उद्देश्य भारत को विश्व शक्ति और परम वैभव बनाना है। इस संघ का निर्माण खोये हुए संस्कार और अपने बच्चों को हिन्दू संस्कार देना है और यह प्राकृतिक आपदाओं के आने पर सभी धर्म के लोगों की बढ़ चढ़कर मदद करता है।


दोस्तों अब आप ये तो जान गए कि आरएसएस क्या है (What is RSS in Hindi) या आरएसएस का मतलब क्या होता है (RSS Meaning in Hindi) हिंदी में। चलिए अब आपको RSS Ka Itihas में इसकी स्थापना कब हुई थी, व किसने आरएसएस की स्थापना की थी आदि के बारे में विस्तार से बताते है।


RSS Full Form In Hindi !

आरएसएस (RSS) का फुल फॉर्म “Rashtriya Swayamsevak Sangh” होता है। आरएसएस फुल फॉर्म इन हिंदी “राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ” होता है। यह एक गैर सरकारी हिन्दू राष्ट्रिय संगठन है जिसका नामकरण 17 अप्रैल 1926 को किया गया, जिसमें इसका नाम ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ रखा गया था।

RSS की स्थापना कब हुई?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को विजय दशमी के दिन 4 लोगों की शाखा से “डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार” द्वारा की गयी थी। विजय दशमी के त्यौहार को इस संघ द्वारा बड़े ही हर्ष उल्लास से मनाया जाता है। यह संघ फैलकर आज दुनिया का सबसे बडे संघ के रूप में जाना जाता है। आरएसएस संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में कर रही है तथा जिसके 56 हजार 569 से अधिक दैनिक शाखाएं है। वर्तमान में RSS का मुख्यालय नागपुर, महाराष्ट्र में है।

संघ की स्थापना के 50 वर्षो के बाद सन 1975 में पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की गयी थी, उस समय संघ के सभी अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एकजुट होने पर रोक लगा दी थी। आपातकाल के हटते ही यह संघ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयी और केंद्र में “मोरारजी देसाई” के प्रतिनिधित्व में मिली-जुली सरकार बनी।

1975 के बाद धीरे-धीरे इसका राजनीतिक महत्व बढ़ता गया और इसका झुकाव भारतीय जनता पार्टी जैसे राजनीतिक दल के रूप में हुआ। शुरुआत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार करने से मना कर दिया था। संघ ने अपने मुख-पत्र में “ऑर्गनाइजर” के 17 जुलाई 1947 के “राष्ट्रीय ध्वज” शीर्षक वाले संपादकीय में “भगवा ध्वज” को राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने की मांग की थी।

RSS कैसे ज्वॉइन करें?

RSS में शामिल होने के लिए किसी भी प्रकार की कोई औपचारिक सदस्यता नही है। आरएसएस 18 साल से कम उम्र के बच्चों में शुरू से ही अपने विचारों और देश भावना भरने के लिए बाल भारती और बालगोकुल कार्यक्रम चला रही है यह विश्व विद्यालयों में भी छात्रों को अपने संघ के प्रति आकर्षित करने के लिए कार्यक्रम चला रही है।

अगर आप इस संघ से जुड़ना चाहते है या इसमे रहकर काम करना चाहते है तो इसके लिए आप संघ के दैनिक, साप्ताहिक या मासिक गतिविधियों में शामिल हो कर इसका हिस्सा बन सकते है। इसकी शाखा आपको हर क्षेत्र, विभाग, जिले, प्रांत और केंद्र पर मिल जाएगी। आरएसएस संघ में सभी स्तर के संघ मंडली की बैठक होती है। तथा जिसमें कार्यकर्ता व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, समता (परेड), गीत, भजन आदि कार्य करवाते है।

RSS के फायदे क्या है?

अब आपके मन मे सवाल आएगा कि आर एस एस से जुड़ने के फायदे क्या हैआरएसएस (RSS) प्रमुख “मोहन भागवत” के अनुसार RSS में किसी भी व्यक्ति को कोई फायदा नही है क्योंकि RSS एक लाभकारी संगठन नही है जिसमे व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए शामिल हो। इसमे केवल वे लोग ही शामिल हो सकते है जो समाज और राष्ट्र सेवा का लाभ प्राप्त करना चाहते हो।


अगर आज आप RSS में शामिल हो जाते है तो यह हमारे देश और हिन्दू समाज के लिए फ़ायदेमंद है। इसमे आपके लिए कुछ भी फायदे नही है हालाँकि इसे ज्वाइन करने पर आपके विचार भारत देश की संस्कृति के प्रति और अधिक विकसित होंगे।


इससे आप जाति भेदभाव को भूल जायेंगे।

आप सीखेंगे की प्राकृतिक आपदाओं में कैसे लोगों की मदद करे।

आपको अपनी महान संस्कृति और इतिहास पर गर्व होगा।

आपका रोलमॉडल बॉलीवुड की हस्ती से स्वतंत्र सेनानी में चला जायेगा।

अगर आप रोज़ाना आरएसएस शाखा में जा रहे है तो आप रोज़ाना नये लोगों से मिलेंगे।

आरएसएस में रोजाना व्यायाम करने से आपका शारीर स्वस्थ रहेगा।

आप में राष्ट्रवादी और देश भक्ति की भावना जागृत हो जाती है।

RSS की शाखाएँ !

आरएसएस की शाखा किसी कमरे में नहीं, बल्कि खुले मैदान या खुली जगह में प्रतिदिन 1 घंटे लगती है। इसमें विभिन्न प्रकार भी गतिविधियाँ जैसे- व्यायाम, परेड, सूर्य नमस्कार, प्रार्थना और गीत आदि सम्मिलित रहती है। आरएसएस में शाखाएँ निम्न प्रकार की होती है:

  • प्रभात शाखा (सुबह लगने वाली शाखा)।
  • सायं शाखा (शाम को लगने वाली शाखा)।
  • रात्रि शाखा (रात्रि को लगने वाली शाखा)।
  • मिलन (सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा)।
  • संघ-मण्डली (महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा)
निष्कर्ष
तो ये थी RSS Ke Bare Mein Jankari जिसमें आपने जाना कि, RSS Kya Hai (What is RSS ), RSS का फुल फॉर्म क्या है व इसकी स्थापना किसने की थी आदि। भारत में लाखों युवा और व्यक्ति इस संघ से जुड़कर अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है। इस संघ में जो भी सदस्य अपनी पूर्ण इच्छा से जुड़ता है वह ‘स्वयंसेवक’ कहलाता है। आरएसएस संघ की लोकप्रियता इतनी है कि इसकी उपस्थिति भारत देश के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है।

उम्मीद करते है आपको Rashtriya Swayamsevak Sangh In Hindi में दी गयी जानकारी उपयोगी लगी होगी। अगर आपका जवाब हाँ है तो इसे अन्य लोगों तक भी पहुंचाए, ताकि वे भी देश हित के कार्य में अपना योगदान दे सके।

RSS से जुड़े कुछ प्रश्न !

  • राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के 6 उत्सव कौन कौन से हैं?

संघ के छह प्रमुख उत्सव वर्ष प्रतिपदा, हिंदू साम्राज्य दिवस, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, विजय दशमी और मकर संक्रांति आदि है।

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब हुई थी?

RSS की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को नागपुर में हुई थी।

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय कहाँ स्थित है?

RSS संघ का मुख्यालय महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिले में स्थित है।

  • आरएसएस के प्रथम प्रमुख कौन थे?

परम पूज्यनीय डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार जी (1925-1940) संघ के प्रथम प्रमुख थे।

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