राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण (FORMATION OF RASHTRIYA SWAYAMSEWAK SAGH )(R.S.S.)
1920 तक हेडगेवार इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे लेकिन 1923 के हिन्दू-मुस्लिम दंगों में कांग्रेस की नीतियों से परेशान थे. वे राष्ट्र निर्माण के लिए एक पार्टी बनाने की सोच रहे थे.
विनायक दामोदर सावरकर और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से हेडगेवार प्रभावित होकर हिन्दुओं की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के बारे में भी सोच रहे थे.
इसी कारण हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी पर आर.एस.एस. की स्थापना की. वे चाहते थे कि सभी हिन्दू इकठ्ठा हो कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़े और भारत में हिन्दू संस्कृति की स्थापना हो.
हेडगेवार ने 1936 में महिलाओं के लिए सेविका समिति की स्थापना की. उन्होंने दिन रात संघ के लिए काम किया. वे चाहते थे की संघ के लिए उन्हें युवाओं से ज्यादा समर्थन मिले. उन्होंने कई युवा लड़के और लड़कियों को प्रेरित किया. वे संघ के प्रचार के लिए नागपुर से बाहर भी गए. हेडगेवार और उनके संघ के स्वयंसेवक ने आर.एस.एस. की शाखाओं को लखनऊ और काशी जैसी जगहों पर लगाना शुरू किया.
हेडगेवार ने बड़ी ही चतुराई से संघ की गतिविधियों को भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन से दूर रखा क्योंकि ये गतिविधियाँ कांग्रेस के नेतृत्व में हो रही थी. उन्होंने इसे किसी भी ब्रिटिश विरोधी गतिविधि से बचने के लिए बनाया था.
केशव की मृत्यु (Keshav Baliram Hedgewar Death)
हेडगेवार अपने आखिरी समय में पीठ दर्द से परेशान थे. इस परेशानी के कारण उन्होंने संघ की ज़िम्मेदारी दुसरे सदस्यों को देनी शुरू कर दी और एम.एस. गोलवलकर संघ के दुसरे सरसंघचालक बने. उन्होंने 1940 में संघ की बैठक में आखिरी बार हिस्सा लिया. उस बैठक में उन्होंने बैठक के अपने आखिरी शब्द कहे की मै अपने सामने एक छोटा सा हिन्दू राष्ट्र देख रहा हूं. डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने 21 जून 1940 में सुबह-सुबह अपनी आखरी सांसे ली.